तुम जानते हो कि हमारा देश त्योहारों के लिए विख्यात है। प्रत्येक अवसर पर खाने-पीने की व्यवस्था रहती है। धनी व निर्धन अपनी क्षमता के अनुसार ऐसे आयोजन करते हैं। यहाँ तक कि मृत्यु भोज भी उतनी शालीनता से सम्पन्न होते हैं। तुम सब इन आयोजनों को टी0वी0 सीरियल की तरह देखते और इनमें सम्मिलित होते हो। परन्तु तुम्हें हम कुछ अति महत्वपूर्ण संदेश प्रेषित करते हैं। यदि तुम इन्हें समझने का प्रयास करो तो तुम भारतीय जीवन पद्धति को अधिक आदर की दृष्टि से देखने लगोगे। संदेश की मुख्य बातें निम्न प्रकार है-
1) उक्त अवसरों पर अपने पराये की भावना गौण हो जाती है।
2) उक्त अवधि में हम अभावों को भुला देते हैं।
3) इनमें खोकर हम उन आनन्दमयी, सुखद क्षणों को चिरस्थायी बनाने का इरादा बनाते हैं।
4) आधुनिक युग की व्यस्तता में भी हमें एक दूसरे को जानने का अवसर प्राप्त होता है।
----------------
याद रखो- ये आयोजन - रक्षाबन्धन, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, दशहरा, दुर्गा पूजा, ईद, क्रिसमस, होली आदि - हमें अपनी संस्कृति के प्रति सजग बनाते हैं।
समाज में सौहाद्र सजीव हो उठता है।
जीवन की ऊँच नीच को सहने की शक्ति बनी रहती है।
--------------------
लेखक - हरिगोपाल गौड़